ज़िन्दगी बहुत छोटी है
जब मैंने देखा किसी मरीज का ये हाल
जब में गया था हस्पताल
लोग टूटते साँसों की डोरी को जोड़ने आते है
अपने परिवार का साथ छोड़ने आते है
इस दुनिया से रिश्ता तोड़ने आते है
कोई इस दुनिया की तेज रफ्तार में टूट कर आता है
कोई आपसी लड़ाई में फुटकर आता है
हस्पताल ऐसी जगह है
जहाँ जाती धर्म बाहर छूटकर आता है
कुछ खुश होकर के जाते है
डॉक्टर को ही भगवान बताते है
यहाँ रूह बदल लेती है अपनी जगह
कही मातम तो कही किलकारी गूँजती है
ये तो अच्छाई है
हस्पताल इतना भी अच्छा नही
यहाँ भी बहुत बुराई है
मरने वाले को भी लूटते है
कुछ चन्द पैसो के लिए गरीबो की साँस फूंकते है
नही है बीमार वो भी हो कर जाता है
सच है कहना किसी का
किसको हस्पताल से प्यार हो जाता है
है खूबसूरती यहाँ
है जिंदगी यहाँ
है भगवान यहाँ
जो मेरी नजरो से आता है
ज़िन्दगी बहुत छोटी है
जब कोई मरीज नजर आता है
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लेखक :- कविन्द्र पूनिया
अगर आप को अच्छी लगे मेरी कविता तो आप अपना सुझाव comment में जरूर दे अगर कोई गलती हो उसके लिए क्षमा कर देTag:- suvichar in hindi, hindi kavita, kavita, poem in hindi,rhymes in hindi, hindi poem hindi poem, my kavita, urdu poetry in hindi.
भाव अच्छा है लेकिन अशुद्धियां बहुत है और यह रचना की गुणवत्ता एवं प्रभाव दोनों को कम कर देती है। लिखते रहिए और वर्तनी जांच करने की भी चेष्टा कीजिए ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अपनी टिप्पणी के लिए
हटाएंहमें गलतियों से सीखना चाहिए। माफ़ करने की बात नहीं है। सबके साथ यह समस्या आती है आरंभ में। लेकिन प्रयास करते रहना ही भूल में सुधार ला सकता है।
जवाब देंहटाएंसच्चाई बयान करती रचना
जवाब देंहटाएंआपका शुक्रिया
हटाएंमंजूरी रूपी "बैरियर" न रहे तो बेहतर
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