आज में आपको यहाँ राजस्थानी भाषा rajasthani poem in hindi, poem on rajasthani culture in hindi, poem on rajasthani culture, rajasthani poem on love सुनाने जा रहा हु कुछ गलती हो तो छोटा भाई समझ कर माफ़ कर देना
लेखक :- कविंदर पूनिया
थाने प्यार की दासता सुनाऊ
थे ना फसियो प्यार व्यार में इतनी बताऊ
बा पाले की रात ही
फ़ोन पे चाले बिनगी मेरी बात ही
बा एकली बोल ही
मेरे कालजो सो छोले ही
इब नींद आन आलो टाइम हो लियो
बिनगे भाम में सारो गाम गहरी नींद सो लियो
बोली जी मिलने आजो थारा दर्शन करा जो
मै तो बिनगे प्यार म बन कह दियो तो तैयार में
घर की दीवार कूदो गली के पार में
लागे तो पालो हो पर में थाने बतायो नी में तो बिनगे प्यार में
जातो जातो ठंडो हो लियो
तावल में ना तो स्वेटर पहरि चपलिया में तैयार हो लियो
बिनगे घरे पहुचता 10 मिनट मन लागी
वा तो इतनी देर ना जाएगी
मै फ़ोन लाग्यो बीने
फ़ोन की घंटी साइलेंट ना ही बा जोर हू बाजी
बिनगे सागे बिनगे घरगा की नींद भी भाजी
बा देखन चुबारे को किवाड़ खोलो ही हो
पीछे हु कुन है र कन बोलो ही हो
में भाजन लागो ही मेरी चपल टुटगी
पीछे बनगो भाई दिखते ही
मन लागो मेरी किस्मत ही फुटगी
यारी तो टूटी बन चुबारे आले किवाड़ भी कुंडी मुदली
बा जाड़े आली रात बेवफाई करेगी
पकड़ो गयो बिनगे गहरे मेरी तो सोड सी भरदी
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