अभी उसके शहर में उसकी यादे है
वो हो गई रुक्सत अपनी डोली में
लेकिन मेरे लफ्ज़ो पर उसकी ही बाते है
खुशी भी है तो मलाल भी
अपना बना छोड़ गई कमाल भी
अब करेगी अपने शौहर से वो सवाल भी
मत देखना किसी गैर को वरना
करुँगी बवाल भी
मेरी यादे उसे आती होगी क्या
मेरे लिए उसकी यादे जाल ही
उसके लफ़्ज़ों से निकले लफ्ज
भुलाने इतने आसान नही
भूलया तो निकलेगी जान ही
वो हो गई रुक्सत अपनी डोली में
रही मुझे जनाजे की तलाश ही
एक टिप्पणी भेजें
एक टिप्पणी भेजें