आज हम यहाँ पर अणुव्रत आचार संहिता के बारे में निबन्ध लिखेगे तो आप को यहाँ पर एक व्यवस्तित रूप से अणुव्रत आचार संहिता के बारे में सिखने को मिलेगा
शीर्षक :- अणुव्रत आचार संहिता के बारे में लेख | यहा अणु का मतलब छोटा होता है दुनिया में सभी चीज़े अणु से मिल कर बनी है तथा व्रत का अर्थ होता है संस्कार जो हमें सिखाता यहि की हमें किसी भी प्राणी पर अनावश्यक हिंसा नही करनी चाहिए |
प्रस्तावना :- अणुव्रत का मतलब लघुव्रत भी होता है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है की जैन धर्म के अनुसार जो लोग गृहस्ती में रहते है उनके लिए तो लघुव्रत बनाये गए है तथा जो महान सन्यासी है उनके लिए महाव्रत बनाये गए है जिस से वे अपने तन मन को शुद्ध रख पाते है सन्यासी हमेशा महाव्रत में छोटी छोटी बातो का ध्यान रखते है जो की लघुव्रत या अणुव्रत में सम्भव नही है
महावीर जी के अनुसार अणुव्रत पाँच होते हैं
- अहिंसा
- सत्य
- अस्तेय
- ब्रह्मचर्य
- अपरिग्रह
अणुव्रत आचार संहिता :- अणुव्रत आचार संहिता को 11 भागो में बाटा गया हैजिन्हें निचे दर्शाया गया है
1. मैं किसी भी निरपराध प्राणी का संकल्पुर्वक वध नहीं करूँगा
- आत्म हत्या नहीं करूँगा
- भ्रूण हत्या नहीं करूँगा
2. मैं आक्रमण नहीं करूँगा
- आक्रामक नीति का समर्थन नहीं करूँगा
- विश्व शांति तथा निःशस्त्रीकरण के लिए प्रयत्न करूँगा
3. मैं हिंसात्मक एवं तोड़-फोड़ -मूलक परवर्तियों में भाग नहीं लूँगा
4. मैं मानवीय एकता में विश्वास करूँगा
- जाती, रंग आदि के आधार पर किसी को उंच-नीच नहीं मानूंगा
- अस्पर्श्यता नहीं मानूंगा
5. मैं धार्मिक सहिष्णुता रखूँगा
- सांप्रदायिक उतेजना नहीं फेलाऊंगा
6. मैं व्यवसाय और व्यवहार में प्रामाणिक रहूँगा
- अपने लाभ के लिए दूसरों को हानि नहीं पहुंचाउंगा
- छलनापूर्ण व्यवहार नहीं करूँगा
7. मैं ब्रह्मचर्य की साधना और संग्रह की सीमा का निर्धारण करूँगा
8. मैं चुनाव के संबध में अनैतिक आचरण नहीं करूँगा
9. मैं सामजिक कुरुढीयों को प्रश्रय नहीं दूंगा
10. मैं व्यसन मुक्त जीवन जिवुंगा
- मादक पदार्थों का ---शराब, गंजा, चरस, हेरोइन, भांग, तंबाकू आदि का सेवन नहीं करूँगा
11. मैं पर्यावरण की समस्या के प्रति जागरूक रहूँगा
- हरे-भरे वृक्ष नहीं काटूँगा
- पानी, बिजली, आदि का अपव्यय नहीं करूँगा
उपसंहार :- अणुव्रत पाँच प्रकार के होते है तथा अणुव्रत आचार संहिता को ग्यारह भागो में विभाजित किया गया है जो अणुव्रत का उद्देश्य मनुष्यों को अपनी इच्छाओं पर सयंम रखना सीखता है अथवा अणुव्रत के अनुसार जिस व्यक्ति में करुणा होगी तो वह दूसरे व्यक्तियो के प्रति क्रूर नही होगा वह दूसरे लोगो के दुख दर्द में उनका साथ देगा वो किसी को भी दुखी नही करना चाहेगा और सब के लिए सुख की कामना करेगा ।
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